तुम क्या खुद को ख़ुदा समझते हो?
2021-02-19 - Exotic Effervescence
25 February 2021, 08:04 AM
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ख़ुदा भी खूबसूरती में कयामत के रंग भर देता है,
रुखसार पर जब एक काला तिल रख देता है।
आँखे वैसे ही कातिलाना हैं उनकी,
वो सुरमे से सजाकर उन्हें कटार कर देता है।।
कौन कम्बखत कहता है कि कुदरत में फेरबदल नही होते,
वो झरोखें में आए तो खुद ख़ुदा ईद की,
तारीखों में बदलाव कर देता है।।
खूबसूरती पर उनकी हर एक फ़िदा है,
आसमान भी उनके सजदे में अमावस को,
पूनम की रात कर देता है।।
ये तो मुकद्दर है हमारा कि वो हमारे हिस्से आयी है,
वरना पूरा शहर उन्हें पाने को जाँ-निसार कर देता है।।
कौन कहता है कि बिना आग किसी को जलाया नहीं जाता,
ये नि-3 जब भी उनकी बाँहों में बाँहे डालें निकलता है,
पूरा शहर राखकर देता है।।
©नितिन 12/15/2018 6:00 IST
कविता- काव्य-संग्रह स्वप्न-दर्पण से।
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