Right Here For You
2021-01-13 - Exotic Effervescence
20 January 2021, 09:31 AM
31°c , India
कहां गए वो दिन,
जब डाकिया आया करता था।
तुम ना आए,
तुम्हारे ख़त पहुंचाया करता था।
उस एक ख़त की आस में,
सुबह से सांझ हो जाती थी।
कब आयेंगे ये ख़त,
सोच आंखें भर आती थी।
डाकिए की साइकिल की,
ट्रिन-ट्रिन की वो धुन।
मानो कोई मधुर संगीत,
रहे हो सुन।
वो एक ख़त सबसे पहले,
कौन पड़ेगा।
घर में उस ख़त के आने,
के बाद का कौतूहल कौन भूलेगा।
एक बार नहीं सौ-सौ दफा,
उस ख़त को पढ़ना।
जीवंत उन शब्दों के जादू,
ख़त में चेहरे को देखना।
पढ़ने के बाद उस ख़त को,
अलमारी के एक कोने में छिपाना।
अब वो इंतज़ार वाला दौर कहां,
वीडियो कॉलिंग का जमाना है।
...............................................................................................................
Written by: Nidhi Kala. A Lecturer in college, Nidhi is a sensitive-to-nature-and-people kind of a person and in-closet poet.
copyright Tantrum Fits. All Rights Reserved | Designed By Salvatore Infotech.
Leave Comment